एसईसीएल क्वाटर पर रिटायर्ड कर्मचारी का कब्जा,कोर्ट ने १ लाख का लगाया जुर्माना…
कोरबा – जिले की एस ई सी एल क्षेत्रों से बीते कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में कर्मी सेवानिवृत हुए है,वहीं उनके स्थानों में नई पोस्टिंग और अन्य क्षेत्रों से यहां पोस्टिंग भी हुई है, ऐसे में एस ई सी एल के आवासों में रह रहे अधिकांश रिटायर्ड कर्मियों ने नोटिस के बाद भी आवास खाली नही किया है,जिससे नए आए कर्मियों को आवास की किल्लत हो रही है,वे अपने परिवार को छोड़ यहां एक एक क्वाटर में ५ से ६ कर्मी संयुक्त रूप से रह रहे हैं,अथवा किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं। ऐसे में वर्षों से अवैध रूप से काबिज लोगों के ऊपर सख्ती से कार्यवाही करना शुरू कर दिया है।ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें एसईसीएल के सुरक्षा विभाग में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के पद से करीब 8 साल पहले रिटायर हो चुके कर्मचारी ने बार बार नोटिस के बाद भी आवास का कब्जा नहीं छोड़ा, बल्कि यहां अवैध रूप से शेड भी बना लिया।
एसईसीएल ने स्पेशल कोर्ट, कंपनीज एक्ट में मामला प्रस्तुत किया था। कोर्ट ने कर्मचारी पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही 30 दिनों के भीतर आवास का कब्जा छोड़ने, शेड हटाने और एसईसीएल को सौंपने के आदेश दिए हैं। ऐसा नहीं करने पर दो वर्ष वर्ष कारावास की सजा दी जा सकती है। मामले पर विशेष न्यायाधीश, कंपनीज एक्ट रमाशंकर प्रसाद के कोर्ट में सुनवाई हुई। एसईसीएल ने कंपनीज एक्ट की धारा 452 के तहत एडवोकेट विवेक वर्मा के जरिए स्पेशल कोर्ट, कंपनीज एक्ट में मामला प्रस्तुत किया था, इसमें बताया कि एसईसीएल में असिस्टेंट सिक्योरिटी इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत रहे जेपी चौरे वर्ष 2015 में रिटायर हो चुके हैं, लेकिन उन्होंने अब तक कंपनी के कोरबा स्थित कॉलोनी के एमक्यूई-20 में कब्जा कर रखा हुआ है। वहीं, चौरे की तरफ से कहा गया कि एसईसीएल ने उसे कोई आवास आवंटित नहीं किया था। इस आवास में सुशीला बाई रहती थी, उसने इस आवास को उसे देखरेख के लिए सौंपा था। पहले ही इस बात की जानकारी क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक, कोरबा को वर्ष 2015 और 2017 में दी जा चुकी है।प्रदेश में कंपनी
एक्ट की धारा 452 का पहला मामला
कोर्ट में तर्क दिया गया था कि वह रिटायर्ड कर्मचारी है, उस पर कंपनीज एक्ट, 2013 के प्रावधान नहीं लागू होंगे, इस मामले में कोर्ट ने कई न्याय दृष्टांतों का हवाला देते हुए कहा है कि कंपनीज एक्ट में वर्ष 2013 में हुए संशोधन के बाद कंपनी के अंतर्गत रिटायर्ड कर्मचारी भी शामिल है, लिहाजा अनाधिकृत कब्जे के खिलाफ धारा 452 के तहत मुकदमा दायर किया जा सकता है। बता दें कि प्रदेश में कंपनीज एक्ट की धारा 452 के तहत रिटायर्ड कर्मचारी के खिलाफ ऐसा पहल मामला है। खबर सोर्स दैनिक भास्कर..